ब्लूटूथ क्या है? आजकल ब्लूटूथ के बारे में कौन नहीं जानता, हम सभी ब्लूटूथ से परिचित हैं लेकिन कई बार Bluetooth Kya Hai के अंतर्गत आने वाली संपूर्ण जानकारी से हम अभिन्न होते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको ब्लूटूथ से संबंधित सभी जानकारियों से अवगत करवाने वाले हैं।
अनुक्रमांक
- 1 ब्लूटूथ क्या है? इसके फायदे और नुकसान क्या हैं?
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- 3 फोन खो जाए या चोरी हो जाए तो क्या करें?
- 4 Edge Computing क्या है?
- 5 Supercomputer क्या है? इसकी विशेषताएँ प्रकार?
- 6 YouTube Creator Tips: स्मार्टफोन से बेहतर सेल्फी वीडियो कैसे रिकॉर्ड करें? Follow करें जरूरी टिप्स
- 7 ब्लूटूथ काम कैसे करता है?
- 8 ब्लूटूथ के क्या फायदे और नुकसान हैं?
- 9 ब्लूटूथ के लाभ:
- 10 ब्लूटूथ के नुकसान:
- 11 ब्लूटूथ की सुरक्षा क्या है?
- 12 ब्लूटूथ Health Concern क्या है?
- 13 ब्लूटूथ के क्लास और उनके मानक क्या हैं?
- 14 ब्लूटूथ की पेयरिंग कैसी होती है?
- 15 ब्लूटूथ का Tethering प्रक्रिया क्या है?
- 16 Frequently Asked Questions (FAQ)-
- 17 Q. ब्लूटूथ का लिंक प्रबंधक क्या होता है?
- 18 Q. ब्लूटूथ कितनी रेंज देता है?
- 19 Q. ब्लूटूथ के क्या फायदे हैं?
- 20 Q. ब्लूटूथ के क्या नुकसान हैं?
- 21 निष्कर्ष –
ब्लूटूथ क्या है? इसके फायदे और नुकसान क्या हैं?
ब्लूटूथ एक तरह के वायरलेस तकनीक होते हैं। जिसका इस्तेमाल कम दूरी पर डाटा को साझा करने के लिए रेडियो फ्रिकवेंसी की मदद से भेजे जाते हैं। इसकी मदद से लंबे तारों की जरूरत समाप्त हो जाती हैं।
आप ब्लूटूथ की मदद से किसी भी तरह के डाटा को बड़े आसानी से किसी भी डिवाइस में ट्रांसफर कर सकते हैं, जैसे कि डाक्यूमेंट्स,फाइल्स, वीडियोस आदि। सिर्फ दस्तावेजों को साझा करने के लिए ही नहीं बल्कि किसी अन्य डिवाइस को भी आप ब्लूटूथ के जरिए जोड़ सकते हैं और उसका इस्तेमाल भी कर सकते हो।
ब्लूटूथ काम कैसे करता है?
ब्लूटूथ 2.46 गीगाहर्टज पर केंद्रित 80 विभिन्न तरह के चैनलों के एक बैंड में रहकर सभी को रेडियो तरंगे भेजता है और रिसीव भी करता है। ब्लूटूथ रेडिएशन पर काम करने वाली एक तकनीक होती है, जो रेडियो, स्मार्टफोन, टेलीविजन जैसे यंत्रों से काफी अलग होते हैं।
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खास तौर पर इसका इस्तेमाल भी किसी औद्योगिक क्षेत्र पर, वैज्ञानिक या फिर चिकित्सा उपकरणों के द्वारा ही इस्तेमाल किए जाने के लिए आरक्षित किए जाते हैं। बड़ी संस्थानों द्वारा इसका इस्तेमाल किए जाने पर कई तरह के रोक भी होते हैं क्योंकि इसके रेडिएशन काफी नुकसान भी पहुंचाते हैं।
ब्लूटूथ के क्या फायदे और नुकसान हैं?
ब्लूटूथ एक रेडियोएक्टिव पर चलने वाले तकनीक होती है इसीलिए इसके लाभ होते हैं पर कई मामले में नुकसान भी है।
ब्लूटूथ के लाभ:
यह वायरलेस होती है। इसे बड़े आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ढ़ोया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसान होता है क्योंकि यह ऑटोमेटेड होती है सिर्फ कनेक्ट करने कि जरूरत होती है।
यह ऊर्जा-कुशल भी होती हैं। इसके जरिए डाटा शेयर करना आसान हो जाता है और साथ ही इसके जरिए आवाज का संचार भी किया जा सकता है। ब्लूटूथ का अपना एक सीमित क्षेत्र होता है उसी रेंज पर ही यह काम करती है।
ब्लूटूथ के नुकसान:
ब्लूटूथ कई परिस्थितियों में अपना कनेक्शन खो देते हैं इन्हें बार-बार री कनेक्ट किया जाता है। अगर इसकी तुलना वाईफाई से किया जाए तो इसका बैंडविथ भी उससे काफी कम होता है। यह सभी उपकरणों के बीच कम दूरी तक के लिए ही संचार कर सकते हैं। ब्लूटूथ में सुरक्षा भी एक बहुत बड़ा पहलू होता है क्योंकि कई बार इसे बड़ी आसानी से हैक भी कर लिया जाता है।
ब्लूटूथ की सुरक्षा क्या है?
ब्लूटूथ SAFER+ ब्लॉक पर कस्टमाइज होती है और इसमें कुछ इस तरह के और कर रही थी सेट किए जाते हैं जिससे आपकी प्राइवेसी और कुंजी साथी आपका एड्रेस पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है।
वैसे तो ज्यादातर ब्लूटूथ की कुंजियां पिन पर आधारित होते हैं जिसका इस्तेमाल करने के लिए दोनों डिवाइसों के बीच पिन को दर्ज करने की जरूरत पड़ती है।
हालांकि इसे संशोधित भी किए जा सकते हैं यदि उपकरणों में कोई एक निश्चित तरह का पिन हो तो यह संभव है। उदाहरण के तौर पर जैसे दो मोबाइल फोन का मॉडल एक होना या दो डिवाइस का कनेक्शन एक होना आदि मामलों में।
ब्लूटूथ डिवाइस को तोड़े जाने के लिए e22 एल्गोरिथ्म का इस्तेमाल किया जाता है। यह एल्गोरिथ्म पूरी तरह मास्टर कुंजी माना जाता है। भूतनी और भी कई तरह के एल्गोरिथ्म सेट किए जाते हैं जैसे कि E0 एल्गोरिथ्म जिसके जरिए किसी भी पैकेट आदि को इनक्रीप्ट करने के लिए और निजी सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिए जाते हैं।
ब्लूटूथ Health Concern क्या है?
ब्लूटूथ पूरी तरह से आपके स्वास्थ्य की चिंता का ध्यान रखता है। ब्लूटूथ का इस्तेमाल होने में 2.403 गीगाहर्ट्ज़ से 2.490 गीगाहर्ट्ज़ फ्रीक्वेंसी को इस्तेमाल में लाए जाते हैं जो पूरी तरह से विकिरण होते हैं और यह पूरी तरह से किसी भी मोबाइल फोन पर या किसी भी तरह के वायरलेस पर इस्तेमाल करने के लिए ही बनाए जाते हैं तथा इसे उन्हीं रेंज पर सेट भी किया जाता है।
जो समान बैंडविथ के होते हैं। इस रेंज की फ्रीक्वेंसी पर किसी भी तरह के नुकसान नहीं देखे गए हैं। ब्लूटूथ रेडियो से ज्यादा से ज्यादा बिजली उत्पादन की खपत फर्स्ट क्लास सूची के लिए सवा मेगा वाट का ही इस्तेमाल होता है वही सेकंड क्लास के लिए 2.6 मेगा वाट तथा थर्ड क्लास के उपकरणों के लिए 1 मेगावाट बिजली का ही इस्तेमाल होता है। इस्तेमाल होने वाले बिजली की खपत भी किसी मोबाइल फोन की संचालन से भी काफी निम्न स्तर के हैं।
ब्लूटूथ के क्लास और उनके मानक क्या हैं?
ब्लूटूथ के डिवाइस ज्यादातर तीन वर्गों में ही आते हैं:-
तीनों रेंजो की यह डिवाइसेज एक दूसरे के ऑपरेटिंग सिस्टम को तथा उसके दूरी के निर्धारण को तय करती है। फर्स्ट क्लास डिवाइस की रेंज 100 मीटर तक की होती है। जबकि सेकंड क्लास डिवाइस इसकी रेंज 30 और थर्ड क्लास वाले डिवाइस की रेंज 10 मीटर तक ही सीमित रहती हैं।
ब्लूटूथ को वर्तमान समय में भी सक्रिय रूप से विकसित किए जा रहे हैं और समय-समय पर इसके कई संस्करण और अपग्रेडेड मॉडल्स भी देखे जाएंगे। हर संस्करण में इनपुट तथा आउटपुट को बेहतर बनाने की कोशिश संस्थानों के द्वारा किए जा रहे हैं।
ब्लूटूथ की पेयरिंग कैसी होती है?
ब्लूटूथ के सिस्टम को जोड़े जाने के लिए दो तरह के मेलो का इस्तेमाल किए जाते हैं। पहला लीगेसी रिपेयरिंग जो पूरी तरह से 2.0 के वर्जन पर चलती है और यह पिछले संस्करणो मे भी उपलब्ध हुआ करती थी। दूसरा है सिक्योर सिंपल पेयरिंग यह वर्जन 2.0 से थोड़ा ज्यादा एडवांस है और वर्तमान समय में ज्यादातर इसी वर्जन का इस्तेमाल होता है। वर्जन 2.0 तथा 2.1 और पुराने सभी डिवाइसों से कनेक्ट करने के लिए ज्यादातर लीगेसी पेयरिंग का ही इस्तेमाल किए जाते हैं।
ब्लूटूथ की खासियत यह है कि यह अपने वर्जन वाले डिवाइस को ऑटोमेटिक खोज लेती है और खुद ब खुद उससे कनेक्ट भी हो जाती है। ब्लूटूथ का डिवाइस पेयरिंग दो उपकरणों के बीच एक तरह से प्रभावी तथा स्थाई कनेक्शन बनाया करती है ताकि वे हमेशा ही सामान्य खोज की प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर ही आसानी से कनेक्ट हो सके।
ब्लूटूथ का Tethering प्रक्रिया क्या है?
ब्लूटूथ के Tethering प्रक्रिया का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले आपको अपने फोन को किसी दूसरे डिवाइस के साथ पेयर करने पड़ेंगे। ब्लूटूथ के किसी भी डिवाइस में इसका नेटवर्क रिसीव करने के लिए इसे उस डिवाइस के साथ सेट करें।
डिवाइस के दिए गए निर्देशों का पालन करें और अपने फोन पर सेटिंग के ऐप को खोलें और उसके बाद नेटवर्क तथा इंटरनेट या फिर हॉटस्पॉट या फिर Tethering पर टाइप करके इसका इस्तेमाल करें। यह प्रक्रिया कई डिवाइस को को एक साथ जोड़ने की अनुमति प्रदान करता है।
सॉफ्टवेयर: ब्लूटूथ डिवाइसेज की कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए और उसके स्टैंडर्ड का पालन किए जाने के लिए भी लैपटॉप, फोन तथा ब्लूटूथ से चलने वाले किसी भी डिवाइस के दरमियान संचालित किए जाने के लिए होस्ट कंट्रोलर इंटरफेस का इस्तेमाल किए जाते हैं।
इसके अलावा उच्च स्तरीय प्रोटोकॉल के लिए भी जैसे कि किसी अन्य ब्लूटूथ के उपकरणों को खोजे जाने के लिए तथा रेंज का पता लगाने के लिए सीरियल पोर्ट कनेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। ब्लूटूथ मे इस्तेमाल होने वाले इस सॉफ्टवेयर के मदद से ही विभाजन तथा पुनः संयोजन किया जाता है।
हार्डवेयर: ब्लूटूथ के डिवाइस में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर हार्डवेयर मूल रूप से युग्मों से बना होता है। जो पूरी तरह फिजिकली अलग होते हैं। दो भागों में से एक भाग रेडियो करण का होता है जो किसी भी सिग्नल को मॉड्यूल एट और उन्हें ट्रांसमिट करते हैं और दूसरा होता है डिजिटल नियंत्रक। डिजिटल नियंत्रक एक तरह का सीपीयू होता है जिसका मुख्य कार्य यही होता है कि वह लिंक के कंट्रोलर को चलाता रहे।
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लिंक को कंट्रोल करने वाले बेसबैंड के प्रसंस्करण तथा फिजिकल लेयर को प्रोटोकॉल के मैनेजमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और यही उसके जिम्मेदारी है। इसके अलावा यह सभी हार्डवेयर ऑडियो रिकॉर्डिंग करने के लिए तथा डाटा को इंक्रिप्टेड करने के लिए भी इस्तेमाल किए जाते हैं।
Frequently Asked Questions (FAQ)-
Q. ब्लूटूथ का लिंक प्रबंधक क्या होता है?
Ans: लिंक प्रबंधक एक ऐसी प्रणाली होती है जो उपकरणों के बीच संबंध स्थापित किए जाने के लिए इस्तेमाल होते हैं। इनका मुख्य काम लिंक को स्टेबलाइज करने, प्रमाणीकरण तथा विन्यास के लिए किए जाते हैं। यह प्रक्रिया अन्य प्रबंधकों का पता लगाने मैं मदद करती है और इस प्रोटोकॉल के माध्यम से उनके बीच संचारा स्थापित करती है। एक सर्विस प्रोवाइडर के तरह अपने कार्य को पूरा करने के लिए इस लिंक नियंत्रक (LC) मे शामिल सभी सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। लिंक मैनेजर प्रोटोकॉल के तहत मुख्य रूप से कई ऐसे डाटा यूनिट होते हैं जो एक डिवाइस के जरिए दूसरे डिवाइस पर ब्लूटूथ की मदद से भेजे जाते हैं।
Q. ब्लूटूथ कितनी रेंज देता है?
Ans: ब्लूटूथ कम बिजली की खपत करता है, इसमें कम लागत वाले ट्रांसमीटर का भी इस्तेमाल होते हैं और यह 10 से लेकर 100 मीटर तक की रेंज वाले रिसीवर का इस्तेमाल करते हैं जिससे मोबाइल के इस्तेमाल के लिए सबसे आदर्श माना जाता है। ब्लूटूथ डिवाइस ऑटोमेटेकली किसी दूसरे डिवाइस का पता लगा सकते हैं और यह डिवाइस सभी उपकरणों के बीच अच्छी तरह से संपर्क बनाए रखने के लिए आसान संचार का इस्तेमाल करती हैं।
Q. ब्लूटूथ के क्या फायदे हैं?
Ans: यह वायरलेस होती है। इसे बड़े आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ढ़ोया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसान होता है क्योंकि यह ऑटोमेटेड होती है सिर्फ कनेक्ट करने कि जरूरत होती है। यह ऊर्जा-कुशल भी होती हैं। इसके जरिए डाटा शेयर करना आसान हो जाता है और साथ ही इसके जरिए आवाज का संचार भी किया जा सकता है। ब्लूटूथ का अपना एक सीमित क्षेत्र होता है उसी रेंज पर ही यह काम करती है।
Q. ब्लूटूथ के क्या नुकसान हैं?
Ans: ब्लूटूथ कई परिस्थितियों में अपना कनेक्शन खो देते हैं इन्हें बार-बार री कनेक्ट किया जाता है। अगर इसकी तुलना वाईफाई से किया जाए तो इसका बैंडविथ भी उससे काफी कम होता है। यह सभी उपकरणों के बीच कम दूरी तक के लिए ही संचार कर सकते हैं। ब्लूटूथ में सुरक्षा भी एक बहुत बड़ा पहलू होता है क्योंकि कई बार इसे बड़ी आसानी से हैक भी कर लिया जाता है।
निष्कर्ष –
हम उम्मीद करते हैं कि Bluetooth kya hai से संबंधित सभी जानकारी से अवगत हो चुके होंगे। यहां हमने ब्लूटूथ से संबंधित सुरक्षा, मानक, कार्य, ब्लूटूथ के लाभ और नुकसान आदि के बारे में जिक्र किया है, जिसकी जानकारी आपके लिए लाभदायक रहेगी।